साहित्य चक्र

05 June 2021

एक पेड़ काटा अगर तो सौ पेड़ लगाना है




मानवता खतरे में पड़ी है यह सबको समझाना है
प्रकृति से खिलवाड़ नही करना पर्यावरण बचाना है
उन्नति के नाम पर जो हमने काट डाले जंगल
एक पेड़ काटा अगर तो सौ पेड़ लगाना है

प्रकृति से छेड़छाड़ का ही यह परिणाम है
हर वर्ष बादल फटते हैं तूफान और बाढ़ आते है
गुनाह करने वाला तो कोई और ही होता है
मरते हैं बहुत लोग बिना कसूर सजा पाते हैं

गंदगी हम फैलाते हैं प्लास्टिक हम जलाते हैं
स्वार्थ सिद्धि के लिए जंगलों में आग लगाते हैं
छोटे पौधे पशु पक्षी और जानवर
इस आग की भेंट चढ़ जाते हैं

कारखानों का कचरा सारा दरिया में बहाते हैं
सब्जियों पर केमिकल का छिड़काव कर बेच आते हैं
बीमार कोई हो जाये सेहत की चिंता नहीं दूसरों की
मरता है कोई तो मर जाये हम तो पैसे कमाते हैं

प्रकृति से खिलवाड़ करोगे नहीं रहेंगे जब यह पेड़
धरा गर्म हो जाएगी फिर हो जाएगा उलटफेर
पर्यावरण को नहीं बचाओगे तो नहीं मिलेगी प्राणवायु
स्वच्छ वातावरण नहीं मिलेगा घटती जाएगी आयु

पर्यावरण दिवस नहीं मनाना साल में केवल एक बार
सुरक्षित जीवन जीना है तो मनाइये इसे बारम्बार
अगली पीढ़ी याद करेगी हम सबको
बृक्ष लगा कर करोगे यदि इस धरती का श्रृंगार

रवींद्र कुमार शर्मा

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