साहित्य चक्र

19 June 2021

"जिंदगी एक सफर है सुहाना"


बाहर का शोर और लड़ाई तो सबको दिख जाती है। मगर अपने अंदर का शोर और अंदर चल रही जंग को, सिर्फ वही इंसान महसूस कर सकता है, जो उससे झुझता है। जिंदगी में पैसा, इज्जत, नाम और सोहरत कमाने वाले भी अक्सर जिंदगी से हार जाते है। क्योंकि वो अपने अंदर की जंग नही जीत पाते।




जिंदगी के इन चंद पलो में अपनो को थोड़ा वक्त दे। उनके दिल को समझे। क्योंकि कोई भी इंसान कितनी भी बड़ी हस्ती हो क्यों न हो ? भलेही उसे पूरी दुनिया जानती हो ,मगर वो उम्मीद सिर्फ अपनों से ही करता है।

अपनों के मुस्कुराते चेहरे देखकर, उनकी खुशी का अनुमान लगाने से बेहतर है कभी -कभी उनके मन को तराशा जाए। अक्सर बहुत हँसने और मुस्कुराने वाले लोग ही अपने अंदर एक तूफान समेटे हुए चलते है।

जिंदगी एक सफर है इसमें कई पड़ाव ऐसे आते है,जहाँ सारे रास्ते अंधकार में डूबे प्रतीत होने लगते है। उस वक्त हिम्मत हारने से बेहतर है , अपने मन की रोशनी को जलाना।

वरना "जिंदगी तो एक सफर है सुहाना,यहाँ कल क्या हो किसने जाना"।



                                         ममता मालवीय 'अनामिका'


No comments:

Post a Comment