साहित्य चक्र

13 June 2021

हम जाग जाएँ




जागने का वक्त है
हम जाग जाएँ
यूँ ही अपनी जिन्दगी
को न गंवाएं
आये हैं जिस काम को
पहचान लें हम
आत्मखोज करके
धन्य हो जाएँ
आत्मा हम हैं
मिलें परमात्मा से
एकाग्रता से ध्यान में
समय को लगाएं
हो गए परपंच हम से
जो अभी तक
अंधविश्वासों से
अब हम दूर जाएँ
सत्य करुणा प्रेम
का हम लें सहारा
राग द्वेष ईर्ष्या
को मन में न लाएं
सब जगत अपना है
नहीं कोई पराया
सब के प्रति प्रेम
भाव मन में लाएं
कभी भी किसी का
हम बुरा न सोचें
न ही किसी के प्रति
हम क्रोध लाएं
यह तभी होगा कि
जब हम जान लेंगे
एक ही परमात्मा है
और कहीं न जाएँ।


                                            डॉ. केवलकृष्ण पाठक


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