कल तक थे जो चोर-बेईमान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही बड़े शरीफ इंसान,
अवसरवादियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो जेलों के मेहमान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही कानून के निगहबान,
अपराधियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो त्याज्य पकवान,
उनसे सजते हैं
अब रोज ही हमारे दस्तरखान,
घुसपैठियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो चमचे-दरबान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही सिंहासन की शान,
घर-उजाड़ुओं को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
जितेन्द्र 'कबीर'
No comments:
Post a Comment