साहित्य चक्र

26 June 2021

विजातछंद


समय जो बीत जाएगा,
कभी क्या लौट पाएगा ?
किसे मालूम क्या कल हो?
चलो जी लें इसी पल को।।

कि माना  राह  है दुर्गम,
मगर चलना हमें हरदम ।
भले कांटे मिले पग पग,
मगर हो पांव ना डगमग ।।

कि माना मुश्किलें आयीं,
घटा  बन के यहाँ छायीं ।
मगर बिल्कुल न घबराना,
समय से जीत है जाना।।

बहारें  लौट  आएंगी,
फिजाएं मुस्कुराएंगी ।
तराने फिर सजाएंगे,
सुहाने  गीत  गाएंगे।।

                                 वन्दना नामदेव



No comments:

Post a Comment