साहित्य चक्र

26 June 2021

।। मेरे पापा ।।




 मेरी हर खुशी में मुस्कुराते
 मेरे हर गम में, ढांढस बढ़ाते 
 मेरे पापा

मुझे  कभी पीटी उषा, 
 तो कभी सुनीता विलियम्स बनाते
मेरे पापा

 मेरे आंसुओं के बहने से पहले ही 
 मुझको सीने से लगा लेते, मेरे पापा
 मेरी एक जिद्द  के लिए,
 दुनिया से लड़ लेते, मेरे पापा
 खुद  खाने से पहले पूछते, 
बेटा खाना खाया ?

 धन्य हुआ यह जीवन मेरा
 जो पिता रूप में, आपको पाया
 मेरे पापा

 रहे सर पर , सदा मेरी आपकी छत्रछाया
 आपके संघर्ष ने मुझे सशक्त बनाया 
 आपके मार्गदर्शन ने  आगे बढ़ना  सिखाया 
 गर्व  है मुझे कि, आप हो मेरे पापा
 मैं आपकी गुड़िया भी 
और मैं ही आपकी ढाल भी
 मैं आपका बचपन भी
 और मैं ही आपका सहारा भी
 मेरे पापा

 प्यार पे आपके, सब कुछ निसार दूं 
 आपकी एक मुस्कुराहट के लिए,
 अपनी सारी खुशियां त्याग दूं 
 मेरे पापा

 मुझे बेटी नहीं, सदा अपना बेटा,समझा
 मुझे कभी कमजोर नहीं सदा फौलाद समझा 
 मेरे पापा
  
 
                                       ब्रम्हाकुमारी मधुमिता


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