मेरी इक छत की मुंडेर से,बोले एक चिरैय्या
सुन भैय्या ,सुन भैया सुन भैया ।
पानी नही बरसाता बादल,मैं प्यासी की प्यासी,
भूखे प्यासे बच्चे रहते ,घर घर घिरी उदासी।
खूंटे पर छटपटा रही है प्यासी गैय्या मैय्या।
मेरी इक छत की ------------------------------ ।
दाना नहीं उगा खेतों में, मैं क्या चुगने जाऊं,?
अपने प्यारे चूजों को मैं, क्या भोजन करवाऊँ ।
डाली सूख गई पेड़ों की ,नहीं नीड़ पर छइया।
मेरी इक छत की ------------------------------ ।
काटे सारे जंगल तूने छाया कहाँ रहेगी ?
रोके से ना रुके हवाएं ,नदियाँ कहाँ बहेंगीं?
आँधी चले आग बरसती न डोले पुरवइया ।
मेरी इक छत की ------------------------------ ।
आओ पेड़ लगाएं मिलकर, फिर छाए हरियाली,
हरी भरी धरती माता हो ,हो चहुंदिश खुशहाली।
बागों में कलियाँ लहरायें, चले विकास का पहिया
मेरी इक छत की ------------------------------ ।
मुल्क मंजरी भगवत पटेल
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