प्रेम रंग में रंग गई ,चुनरिया मेरी लाल
मन गुलाब सा खिले,देख पिया का प्यार...
पिया केसर के पानी से, मैं उसमें घुली ग़ुलाल...
पिया रंगें रंग केसरी, पर भये कपोल सुर्ख़ गुलाब....
प्रीत रंग कुछ यूँ चढ़े, हिय होश दियो गँवाय...
चहूँ और पिया तुम दिख रहे सतरंगी स्वप्न जगाये..
छलके अंग -अंग से प्रेम सुधा, सुध मन की विसराये...
प्रेम प्यास की लिये हुए, नयन अधीर से बौराये...
उठे हिलोरें तन -मन में,लिये पिया मिलन की आस..
प्रेम के घुंगरू मन अँगना में,करें छनक छनक झनकार ...
पिया की आहट भ्रमर सी, कली बने खिला गुलाब
मधु रस पान करे भँवरा, प्रेम पीँग के झूले में है झुलाये...
प्रेम रंग में रंग गई,चुनरिया मेरी लाल...
मन गुलाब सा खिल गया देख पिया का प्यार...
पूजा नबीरा
No comments:
Post a Comment