प्रकृति का कोई मूल्य नहीं, यह तो है अनमोल।
1- धरती मां की गोद में , उपजे मोती, मानुष,चून ,
पेड़, फूल,फल,सब्जी पाएं , पाएं खारा नून।
वर्षा जल और शुद्ध वायु का नहीं है कोई मोल ।
प्रकृति का कोई मूल्य नहीं,यह तो है अनमोल।।
2- ब्रान्डेड कपड़े, महंगी कार, रुपए बनाने के व्यापार ।
भोग विलास की लोलुपता ने, नष्ट किये नैसर्गिक उपकार ।।
प्रकृति से हम दूर हो रहे कर रहे टालमटोल
प्रकृति का कोई मूल्य नहीं,यह तो है अनमोल।
3- प्रकृति का दोहन, खूब करें औऱ करें बर्बादी
खतरे में है धरा हमारी साँसत में आबादी।।
भूमि,जल, वायु, पेड़, मिले हैं ये सब हैं बेजोड़ ।
प्रकृति का कोई मूल्य नहीं,यह तो है अनमोल।।
4- कोरोना काल में प्राण वायु बन गयी वरदान ,
कोरोना को मात दे गई और बचाई जान ।
फिर आएगा कोरोना ,अपनी धरा है गोल ।
प्रकृति का कोई मूल्य नहीं,यह तो है अनमोल।।
5 बीमार, लाचार, गरीब अमीर ढूढ़े सभी हवा को ,
ढूढ़े से भी ना मिल पाए कोस रहे किस्मत को ।
पेड़ो को हम खूब लगाएं बोले सब मीठे बोल ।
प्रकृति का कोई मूल्य नहीं, यह तो है अनमोल।।
मुल्क मंजरी
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