साहित्य चक्र

06 June 2021

।। समझदारी ।।


पूनम की मां शोभा शोर मचाती हुई पुलिसथाने पहुंच गई। जमादार ने कहा-"आप चुप रहिए। बड़े साहब काम में है।आप थोड़ी देर कुर्सी पर बैठिए। मैं उनसे पूछकर आता हूं।"





शोभा ने कहा-"नहीं मुझे इसी वक्त उनसे मिलना है। मैं अपनी बेटी के ससुरालवालों के खिलाफ फरियाद दर्ज़ करने आई हूं।"इस प्रकार जोर-जोर से बोलती हुई वह ऑफिस के अंदर घुस गई। उसने पुलिस इंस्पेक्टर से कहा-"साहब, मैं अपनी बेटी के ससुरालवालों के खिलाफ फरियाद दर्ज़ करने आई हूं। मेरी लाडो बहुत दुःखी है।"

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-"शांत रहिए! बहनजी, मामला क्या है? कुछ विस्तार से बताइए।"शोभा ने कहा-"वे लोग मेरी लाडो को फोन पर मुझसे बात नहीं करने नहीं देते।"

पुलिस इंस्पेक्टर सारा हाल समझ गए। उन्होंने कहा-"क्या वे लोग दहेज की मांग करते हैं? क्या वे लोग आपकी बेटी को मारपीट करते हैं?क्या वे लोग आपकी बेटी को खाना खाने नहीं देते?क्या वे लोग आपकी बेटी को ताने सुनाते हैं?"

शोभा के पास कोई जवाब नहीं था। उसने कहा-"ऐसा कुछ भी नहीं है साहब।बड़े लाड़-प्यार से बेटी का जतन किया है। आखिर मां हूं उसकी।रोज उसका हाल तो पूछती रहूंगी।बस,इसी बात से उन लोगों को ऐतराज है।"
पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-"दही को जमने दीजिए।"शोभा ने कहा-"मैं कुछ समझी नहीं साहब।"

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-"आप दही को बिलोने के बाद बार-बार उसमें उंगली हिलाती रहेगी तो क्या होगा?"

शोभा ने उत्तर दिया-"साहब ! दही जमेगा नहीं।"

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-"बस, यही तो मैं कहना चाहता हूं।"शोभा ने पूछा -"मतलब ?"

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-"आपने बेटी की शादी करके उसे ससुराल भेजा है। मतलब यही है कि आपने दही बिलोया है।अब आप हररोज फोन करके उसका हाल पूछती रहेगी तो वह ससुराल में स्थिर कैसे होगी? मायके को भूल कैसे पाएगी? उसे ससुराल में पनपने दीजिए।आपका हररोज फोन करना बिलोये हुए दही में उंगली हिलाने के बराबर है। यदि आप अपनी बेटी को खुश देखना चाहती है तो रोज फोन करना बंद कर दीजिए।सारी समस्या की जड़ आप ही है।अब आगे आपकी मरजी।"

शोभा अवाक रह गई। उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने पुलिस इंस्पेक्टर से कहा-"माफ़ कीजियेगा। मैंने खामखां आपका वक्त बरबाद किया।गलती मेरी ही है। आपने मेरी आंखें खोल दीं।"



                                                     समीर उपाध्याय


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