साहित्य चक्र

20 June 2021

भगवान हर समय ऑनलाइन हैं





अक्सर देखा जाता है कि जब हमारे घर किसी के आने की सूचना मिलती है चाहे वह व्यक्ति बहुत खास नहीं बल्कि आम ही क्यों नहीं हो, तो हम उनके आने से पूर्व खुद को एवं अपने घर को व्यवस्थित कर लेते हैं और जब तक वह व्यक्ति हमारे समीप या हमारे घर में रहता है तब तक हमारी कोशिश रहती है कि हमारे किसी भी व्यवहार से उसे तकलीफ न हो और उसके मन में मेरी अच्छी छवि बने।इसलिए न चाहते हुए भी हम सदा मुस्कुराते रहते हैं, ऊँची आवाज़ में बातें नहीं करते हैं।यानि हमारा व्यवहार बिल्कुल संयमित होता है। हालाँकि उस व्यक्ति द्वारा हमारे व्यवहार के बदले दिया गया अंक कोई महत्व का नहीं होता है, फिर भी हमारी कोशिश यही रहती हैं कि हम दूसरों की नजर में अच्छे बने।हमारे मन में यह बात बैठा रहता है कि कोई हमें देख रहा है।उसके सामने हम गलत हरकत कैसे कर सकते हैं।यानि एक साधारण सा व्यक्ति के नजरों में अपनी अच्छी छवि बनने के लिए हम अच्छा बनने की कोशिश करते हैं और हम यह भूल जाते हैं कि जो हमारे परमपिता परमेश्वर हैं, जिन्होंने हमें रचाया है, जो सर्वज्ञ है और जो सर्वव्यापक हैं वो हरवक्त ऑनलाइन रहते हैं और हमारे कर्मों को देखते रहते हैं।इस बात को भूलकर हम न जाने नित्य कितने अनैतिक कार्यों को करते हैं और मानवीय जीवन को कलंकित करते हैं।


                  इसलिए हमें इस बात को हमेशा याद रखना होगा कि हमारे परमपिता परमेश्वर हरवक्त ऑनलाइन रहते हैं।जब हमें इस बात का आभास होगा कि भगवान हमारे पास हैं यानी ऑनलाइन हैं और बहीखाता  लेकर बैठे हैं तो शायद भूलकर भी हमसे कोई भूल नहीं होगी और सच्चे अर्थों में हम मानवीय गुणों के धारक बन पाएँगे।

              इसलिए हमें हमेशा अपने भगवान को अपने आसपास महसूस करना चाहिए।जब हम भगवान को अपने पास अपने साथ खड़ा देखेंगे तो निश्चय ही हम भटकाव से बचेंगे क्योंकि तब भगवान हमें भटकने ही नहीं देंगे।जैसे ही हमें यह अहसास होता है कि हमारे भगवान हमारे साथ हैं हमारे पास हैं तो हमारे तन- मन में नई चेतना,नई ऊर्जा का संचार होता है।हम अपने आप को शक्तिशाली महसूस करने लगते हैं, हमारे मन से डर खत्म हो जाता है और तब हम कोई गलत काम नहीं करते हैं। हमें असीम आनंद की अनुभूति होती है।हमारे मन की उलझने स्वतः ही सुलझने लगती है।

             इसलिए हमें हरवक्त इस बात का ध्यान रखना होगा कि भगवान हरवक्त ऑनलाइन हैं।जैसे हम एक दूसरे से बातें करते हैं वैसे ही हमें अपने प्रभु से बातें करनी चाहिए फिर देखिए प्रभु कैसे हमारे मन में उठने वाले हर प्रश्नों का कितनी सुगमता से जबाब देते हैं।जब हम ऐसा करेंगे तो शायद ही कोई ऐसा प्रश्न होगा जिसका उत्तर हमें नहीं पता होगा। हम सुख-दुःख से ऊपर उठ जाएँगे।कभी भी हमारे मन में किसी बात की निराशा नहीं होगी और हमें असीम आनंद की प्राप्ति होगी।


                                      कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति


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