राम एक बहुत अच्छा लड़का था, लेकिन शहर आकर कुसंग ने उसके जीवन को बर्बादी की तरफ धकेल दिया। ज़ब उसे इस बात का अहसास हुआ तब तक उसका सब कुछ लुट चुका था और वह जीवन में एकाकी हो गया था। परन्तु ऐसे समय में श्याम ने उसका हाथ थामा और राम से दोस्ती कर ली।
श्याम ने राम को हमेशा सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और उसकी एक अच्छे मित्र की तरह सदैव सहायता की। परिणामस्वरूप राम ने अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुधार किया। वह पढ़ाई, खेल, संगीत आदि सभी क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन करने लगा।
नियमित और कठोर परिश्रम के कारण, वह अंततः एक श्रेष्ठ चिकित्सक बना। आज राम अपने जीवन में सफलता का पूरा श्रेय श्याम और श्याम की दोस्ती को देता है। श्याम ने वास्तव में 'दोस्ती ' शब्द को पूर्ण रूप से सार्थक किया था।
- प्रवीण कुमार
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