साहित्य चक्र

17 July 2021

जीवन जो उपहार करे



कोई   हमको  प्यार   करे
दो  पल  आँखे  चार  करे

साझे  कर  ज़ज़्बात  सभी
जीवन   को   उपहार   करे

अपनी  पाक  मुहब्बत  का
खुलकर   ही  इकरार   करे

गुल बनकर मन गुलशन का
रिश्तों   को   गुलजार   करे

हम सँग सुख दुख का दरिया
हाथ  थाम  कर  पार  करे

साथ  रहें "अंचल" प्रतिपल
ऐसा   अटल    करार   करे।


                                 ममता शर्मा  'अंचल'


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