नमन है वीर शहीदों को,
जो सीमा पर लड़ने जाते।
फिर लिपट तिरंगे में, शहीद हो घर आते हैं।
नमन है उन छोटे-छोटे कंधों को,
जो शहीद बाप को, कंधे पर लेकर जय हिंद बोलते जाते हैं।
नमन है उस मां को जो अपने इकलौते बेटे के,
शहीद हो जाने पर आंसू बहाते चौड़ा सीना करती है!
नमन है उस नववधू को,
जो अपने बिखरे अरमानों को लेकर
शहीद शौहर के सीने से लिपट कर,
आंसू धारा बहाती है।
नमन है उन भारत के रक्षक को, जो तन,
मन सब समर्पित कर भारत की रक्षा करते हैं।
नमन है उस पग धूलों की जो,
मिट्टी की रक्षा के खातिर सीमा पर अपनी जान गवाते हैं।
डॉ माधवी मिश्रा
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