साहित्य चक्र

10 July 2021

कहानी- मासिक चक्र



प्रिया वही रूको...!

एक तीखी आवाज प्रिया के कानों मे सुनाई दी, वो वही ठिठक कर रूक गयी! नयी नवेली दुल्हन प्रिया कुछ समझ ही न पायी, माँ ने कुछ सिखाया नहीं, सहम गयी प्रिया, सास अनुभा जी की बात सुनकर,  आखिर मुझसे भूल क्या हुई, माँ ने बोला था कुछ अनजाने मे गलती हो तो माफी मांग लेना, प्रिया आगे बढी और सासू माँ के पैरो की ओर बढी, अरे रे रूको वही, अखिर हुआ क्या, माँ जी, प्रिया की आंखे भर आयी। मुझे मत छुओ बस, वो सामने कोठरी है चार दिन वही रहना है।




 
पर क्यू, प्रिया अचम्भित हो गयी। मुझे नही पता, तुम कितनी बेशर्म हो तुम्हे शर्म नही आती, इस तरह की बात पूछते, प्रिया चुपचाप कोठरी की ओर बढ गयी! उसके मन मे एक ही सवाल था, की आज के समय मे ऐसी बातें भला कौन सोचता होगा, नयी जगह, कुछ अंधेरा भी था कोठरी में, सुविधा के नाम पर, एक चटाई और एक घडा पानी, ननद भी पीछे से आ गयी थी! एक पतला चद्दर लेकर, दूर से फेककर दिया था।

अखिर ये सब है क्या, रात जाग कर निकल गयी, आकाश भी उसके पास न आया, कल तो कहाँ चांद तारे की बात कर रहा था। और आज खुद ही गायब, दस बज चुके थे एक चाय भी नसीब न हुई।
 
प्रिया को घुटन होने लगी, उसने मन मे कुछ तय किया, और कोठरी से बाहर आ गयी! और तेजी से रसोई की ओर बढ गयी! अरे रूको बहुत सारे लोग आवाज देते रहे, वो न रुकी, सब कुछ बर्बाद कर दिया इस लड़की ने, ये नयी पीढी,,पुरानी पीढी को गर्त मे ढकेल देगी, प्रिया सबकी बाते रही फिर उसका धैर्य टूट गया।

और फिर उसने जो कुछ बोला, सब चुप हो गये।
प्रिया अभी बोलती जा रही थी।

माँ जी मुझे नही पता था की आपकी सोच ऐसी होगी, मै तो आपकी बेटी बनकर आयी थी! आप क्षमा करे, पर आपको समझने मे धोखा खा गयी, पर बहू पुराने जमाने से ये नियम बनाये गये हैं। अनुभा जी कुछ नम्र हुई! नियम क्यू बनाये गये, ये तो पता कर लेते, उसके पीछे का कारण भी तो पता होना चाहिए, बस बिना जाने एक दूसरे पर नियम मढ दिया जाता है।
 
मासिक धर्म में रक्तप्रवाह की वजह से कमजोरी आ जाती है इसलिए चार दिन आराम कर सके, मासिक धर्म सृजन के लिए ईश्वर का वरदान है उसे श्राप क्यू बनाये, मासिक धर्म पाप नही यदि मासिक धर्म नही होगा तो औरत माँ कैसे बनेगी, वो बांझ हो जायेगी, जिसकी वजह से संतान उत्पत्ति होती है वो पाप कैसे, किसी के पास कोई जबाब नही था! सब विमूढ से प्रिया की ओर देखने लगे।

                                        रीमा महेंद्र ठाकुर


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