एक मजबूत इमारत बनाओ धें,
पहाड़ के बचाओ धें,
नींव में पलायन के खड्याओ धें,
दयबतों के ले बुलाओ धें,
एक मजबूत इमारत बनाओ धें।
गार पाथरल के नी हौल,
नेताओं के समझाओ धें,
बांज पड़ी कुड़ियों में,
मैंसों के वापस बुलाओ धें,
एक मजबूत इमारत बनाओ धें।
रोजगारक मोहरी के सबु लिजी खुलाओ धें,
दफ्तरों में पहाड़ की फाइलों के नी अटकाओं धें,
दिल्ली बंबई में धक्क खाणी नान तीनों के बुलाओ धें,
काम सबु लिजी यति हौल यस व्यवस्था बनाओ धें,
एक मजबूत इमारत बनाओ धें,
पहाड़ के बचाओ धें।
कविन्द्र उपाध्याय 'कवि'
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