दिल की गहराइयों मेंतुम्हें छुपा रखा,अपने चेहरे की मुस्कराहट मेंतुमको जमा रखा है।
सोचता हूंतुमको भूल जाऊं,मगर प्रकृति के कण-कण मेंफैली खुशबू मेंतुमको समा रखा है।
सोचता हूंतुमको छोड़ दूं,मगर अंतर्मन कीबिखरी सिमटी गहरी यादों मेंतुमको छुपा रखा है।
सोचता हूंमैं काफ़िर हो जाऊं,मगर तेरी यादों की गहराई नेआज भी मुझेआशिक बनाए रखा।राजीव डोगरा 'विमल'
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