१८५७ के विप्लव में अहम भूमिका को निभाना है।
रामगढ़ राज्य की संपूर्ण जिम्मेदारी को उठाना है।
ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता संग्राम को लड़ना है।
आजादी की खातिर चैन की नींद को त्यागना है।
गांव-गांव जाकर क्रांति की कथा को सुनाना है।
राजा-महाराजाओं को एकता के पाठ को पढ़ाना है।
विजयादशमी के दिन क्रांति के शंख को फूंकना है।
'मर मिटो या चुडियां पहनो'के जुनून को जगाना है।
चारों ओर से घिरकर भी हीमत को नहीं हारना है।
खुद को खंजर भोंककर वीरगति को प्राप्त करना है।
मुझे अवंतीबाई से भारत की प्रथम वीरांगना बनना है।
स्वतंत्रता की इमारत की नींव का पत्थर बन जाना है।
मुझे स्वतंत्रता की इमारत का स्वर्ण-कलश नहीं बनना है।
मुझे बाहरी चकाचौंध से दूर रहना है।
मुझे नींव का पत्थर बन जाना है।
मुझे नींव का पत्थर बन जाना है।
मुझे नींव का पत्थर बन जाना है।
समीर उपाध्याय
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