साहित्य चक्र

25 July 2021

ये वक्त गुज़र जायेगा






बरसाओ   न   मुझ   पर   शब्दों   के   तीर
ये  वक्त   गुज़र  जायेगा  मन   धर  ले  धीर

ख़ामोशी   की  मोहर   टूट  कहीं   न  जाये
संबंधों की  जीवन  रेखा छूट  कहीं न जाये

कटु  संवादों  से  रिश्ते  चढ़  बली  न  जाये
संबंधों  की मधुरता  बन विष  कहीं न जाये

संभालों मुख  तरकश  को  मन  धर ले धीर 
ये  वक्त   गुज़र  जायेगा   मन  धर  ले  धीर

ऋतुयें मौसम और बहारे  शब्दों की माया है
बरछी और कटारें  शब्दों का मकड़ जाला है

ललक  सबक  सनक अर्पण  सब उम्मीदें है
उमंग  जोश   मुखर  सब  मन  के  सपने  है

बोलो    नाप   तौल  कर   मन  धर  ले  धीर
वक्त   गुज़र   जायेगा   मन    धर   ले   धीर

संसार  युद्ध  क्षेत्र  में  अर्जुन  का  बाण बनो
हर   शत्रु   को   सहजता  से   प्रणाम   करो

स्थान   दे   विष    को   मत   पाषाण  बनो 
धर   मनुजता   सम   सयंम   विचार    करों

संभालों   सब्र    को   मन   धर   ले     धीर
वक्त   गुज़र   जायेगा   मन   धर   ले   धीर

निर्जीव   पड़े   नैनों   को   बह   जाने    दो
दिल   के  पत्थर   को  अब   ढह  जाने  दो

मधु   मुस्कान   मधुर   उर   भर   जाने   दो
जो   चित्त   हरे   वो   नैन  संवर   जाने  दो

संभालो   मौन   को   मन    धर    ले   धीर
ये  वक्त   गुज़र  जायेगा  मन  धर  ले   धीर



                                  कल्पना भदौरिया "स्वप्निल"


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