साहित्य चक्र

31 July 2021

जीवनसाथी की कमी

पूरा घर सजा हुआ है, डीजे पर सांग बज रहा है, "आओ जी दुल्हन अब इनसे मिलो जी" मैं लाल जोड़ा पहने अपने ससुराल के चौखट पर खड़ी अपने वेलकम का इंतजार कर रही हूं..!

कुछ ही देर में सभी रिश्तेदारों के साथ अभिषेक की मम्मी (मेरी सासु माँ) भी आई और सारी रस्मो को निभाते मैंने गृहप्रवेश किया, उसके बाद मुँह दिखाई की रस्म, अंगूठी की रस्म होने के बाद मैं रूम में आ गयी।






सारी रस्मों से फ्री होकर बैठी ही थी तभी पापा की कॉल आ गयी, उन्होंने कहा अर्चिता तुम ठीक तो हो न, अविषेक 2 बच्चों का बाप है, बेटा कैसे तुमने उसे चुन लिया..!!

मैंने कहा पापा क्या हुआ जो अविषेक के पहले 2 बच्चे है क्या उनको हक नही की वो अपनी लाइफ में खुश हो,जिंदगी को जी सके, मैं भी तो एक तलाक सुदा हूं, अभिषेक ने मुझे भी तो अपनाया है...!!

और कितनी प्यारी दो बेटियां है और मैं उनकी माँ हूं, उनकी जिमेदारी मेरी जिमेदारी है, ये कह कर मैंने कॉल काट दी...!!

पहली बार मैं अभिषेक और उनकी बेटियों से पार्क में मिली थी मैं टुटा दिल और तलाकशुदा होने का नाम लिए रोज पार्क में तन्हा वक़्त गुजारने आती थी और अभिषेक भी रोज ही आते थे, बात दो अंजानो से शुरू हुई और एक होकर खत्म हुई..!

मैं उनके बच्चियों के करीब आती गयी और लगातार मिलने के 6 महीने के सिलसिले को हमने दोस्ती का नाम दे दिया, एक शाम पार्क में रिया और प्रिया खेल रही थी हम दोनों बैठे बाते कर रहे थे तब अभिषेक ने कहा कि अर्चिता क्या तुम मुझसे शादी करोगी, अचानक इस सवाल से मैं हड़बड़ा गयी, मैंने पूछा शादी..?

अभिषेक ने कहा जानता हूं कि तुम किसी लड़के पर विस्वास नही करती और न कोई रिश्ता रखना चाहती हो, मैं भी किसी और लड़की पर भरोसा नही कर सकता कि वो मेरी बच्चियों को प्यार देगी या नहीं पर तुम, तुम तो उन्हें खुद से ज्यादा चाहने लगी हो, क्या हम मेरी बेटियों के लिए एक-दूसरे का हाथ थाम सकते है..?

जाने क्या सोच कर मैंने हां कर दिया और घर पर पापा मम्मी को मनाने में वक़्त लगा, मम्मी खुश थी की बेटी का घर बस गया और पापा टेशन में..!!

"अर्चिता बेटा तुम्हे कुछ चाहिए तो नही" अभी अभी आवाज आई है जो की मेरी सासु माँ की है, बहुत केयरिंग है मेरी सासु माँ और इस बात से खुश भी की उनकी पोतियों को माँ मिल गयी, जाने कितनी बार उन्होंने मेरी बलैया ली होगी, मैंने कहा नहीं माँ कुछ नही चाहिए फिर वो चली गयी..!!

माँ के जाने के बाद अभिषेक आये,और मुझसे कहा ड्रेस चेंज कर लो,और खुद भी ड्रेस चेज कर लिए,हम दोनों ने कुछ देर बात की और अभिषेक सो गए। हमारा रिस्ता भले एक समझौता है पर इसमें ईमानदारी और एक-दूसरे को समझने के शक्ति है और साथ रहते रहते प्यार भी हो जायेगा...!!

आखिर मैंने और अभिषेक ने बच्चों  की माता पिता की कमी के साथ-साथ जीवनसाथी की भी कमी पूरी कर दी..!!


                                      सोना मौर्या जी की कलम से...



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