मेरे पार्थिव शरीर को
अग्नि के हवाले करने से पहले
मेरी दोनों आंखें
एक किडनी
सीना चीर कर
दिल निकाल लेना
मेरी मृत्यु के पश्चात भी
अप्रत्यक्ष रूप में
मैं जिंदा रहूंगा ।
मेरी अस्थियों का विसर्जन
मोक्ष वश गंगा में प्रवाहित कर
तुम गंगा को दूषित मत करना ।
मेरी अस्थियों को
किसी भी नदी में
प्रवाहित कर देना।
मैं स्वयं अपना
समंदर ढूंढ लूंगा।
स्वर्ग नरक की चिंता
तुम मत करना ।
मेरे कर्मों को ही तय करने देना
मेरा स्थान कहां पर है ।
मेरी मृत्यु के पश्चात
ना तुम मुझे सुन पाओगे
ना मैं तुमसे कुछ कह पाऊंगा ।
इस कालचक्र को
यूं ही चलने देना ।
तुम बिल्कुल भी
प्रकृति के नियम को
बदलने की चेष्टा मत करना।
कमल राठौर साहिल
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