मैं मरना नहीं
मैं जीना चाहता था
मुझे भी जीना था
मां का लाडला बेटा
दोस्तों की जान
पापा की पहचान
बहन का हीरो
बन के रहना था
मैं मरना नहीं
मैं जीना चाहता था
मेरी भी कुछ सपने थे
कुछ अपने थे
रूठ गए अपने
टूट गए सपने
मैं मरना नहीं
जीना चाहता था
पर ऐसे घुट-घुट के नहीं
खुल कर जीना था
कितने गम थे अंदर
फिर भी इन गमों को भूल
आगे बढ़ता गया
चेहरे पर एक झूठी मुस्कान दिखा
सारे गम सेहता गया
मैं मरना नहीं
जीना चाहता था
कुछ भी अच्छा नहीं लगता
जब दिल अंदर से रोता है
आंखों में थे जो सपने
वो हो रहे थे
टूट कर चकनाचूर
मैं मरना नहीं
जीना चाहता था
लोगों की बातों से डर कर
गम का घुट
अकेले पीता गया
और इनका जजमेंट
जहर का काम कर गया
मन की बात बांटने से ज्यादा
मर जाना अच्छा लगा
मैं मरना नहीं
मैं जीना चाहता था ।।
राधा पटेल
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