बच्चे!
वर्तमान में जीना
चाहते हैं
अपने बाल मन के कारण,
इसलिए मौका मिलता
है जब भी
निकल लेते हैं
अपने बाल-सखाओं के साथ
मस्ती मारने के लिए,
मां-बाप!
भविष्य की सोच
रखते हैं
अपने सयानेपन के कारण,
इसलिए हर समय डांटते हैं
बच्चों को
पढ़ाई न करने के लिए।
अपने बच्चों के भाग्य-विधाता
बनने की धुन में
भूल जाते हैं वो
कि उन्होंने भी
बचपन में अपने मां-बाप की
हर बात नहीं मानी,
मां-बाप जो और जैसा
बनाना चाहते थे उन्हें,
बिल्कुल वैसे ही उनमें से
बहुत लोग न बन पाए,
जितेन्द्र 'कबीर'
No comments:
Post a Comment