साहित्य चक्र

30 April 2020

छद्मयुद्ध से लथपथ

छद्मयुद्ध से लथपथ


दंगे फसाद के दल दल मे
दबता जा रहा भारत है
छद्मयुद्ध से लथ पथ  होकर
सहता जा रहा भारत है...


आरक्षण, आंदोलन के नाम पर..
धर्म संगठन के नाम पर..
जल रहा, बिखर रहा..
देश का हर स्थान है...


मातृभूमि के सानिद्य पाकर..
उछाल रहा उनका मान है..
छद्मयुद्ध से लथ पथ  होकर..
सहता जा रहा भारत है..

तबीबीओ, सरकारी कर्मचारियों..
कोतवालो का बहिस्कार हो रहा है...

जीवन  रक्षको का कैसा
ये उपहास हो रहा है..

विटंबना के इस जाल से, 
देश द्रोही के मायाजाल से 
असुरक्षित देशवासियो है...

छद्मयुद्ध से लथपथ हो कर
सहता जा रहा भारत है..

लाशो के ढेर पे, दैनिक मृत्यु आंक पे
डगमगा रहा रणनीति का दाव है..

संविधान के सीमा से परेह..
आम आदमी का बुरा हाल है..

तमाशा ये नागरित्व का
देश के लिए बड़ा शर्मशार है...

छद्मयुद्ध से लथपथ हो कर
सहता जा रहा भारत है..


                                 एक एहसास अल्पा महेता



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