साहित्य चक्र

19 April 2020

कर्तव्य, त्याग का रिश्ता



गीत लबों पर रख लो यारों,
गीत वही हर दम दोहराएंगे।
जान हथेली पर हैं रखते आये,
हम वंदे मातरम गीत ही गाएंगे।।

हाथ जोड़ कर रहा हूँ विनय,
देश प्रेम रख मन मे लय भारी।
आप सभी हो भारत भूमि तनय,
बनो सभी भारत मां के सुत आज्ञाकारी।।

जूझ रहा है देश आपदा से,
कुछ लोग अब औकात दिखाएंगे।
महामारी की अचरज दुविधा में,
भ्रष्टाचार कालाबाजारी फैलायेंगे।।

माना ये देश नही है, बस मेरा,
मैं थोप रहा हूँ तुम पर इल्ज़ाम नही।
कुछ लाज शर्म तो रख लो अब भी,
क्या देश प्रेम तुम्हारा ईमान नही।।

ये विपदा इतनी भी बड़ी नही यारों,
जितना डोल रहा तुम्हरा ईमान है।
देश प्रेम की अलख जगाने आया हूं,
वंदे मातरम लबों पर मेरे सुबहा शाम है।।

कुछ सोच विचार कर लो अब आगे,
किस हद तक तुमको जाना है।
कर्तव्य, त्याग का रिश्ता आज निभाना है,
औकात दिखाओगे या वंदे मातरम गाना है।

                                        अनुराग कुमार मिश्रा 


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