!! "खामोश सड़क" !!
क्यूं सूनी मंजिल है और सूनी है ये कदमो भरी डगर
आहिस्ता खुद से पूछता है ये "खामोश सड़क" !
हुए हम तनहा, या तनहा हुआ लोगो का सफर
आहिस्ता खुद से पूछता है ये "खामोश सड़क" !!
कदमताल सूनी है, शोरगुल सुना है
जाने किसने ये खामोशियों का ताना-बाना बुना है
शौख से हैं बंद कमरों में
या टुटा है किसी बीमारी का कहर,
आहिस्ता खुद से पूछता है ये "खामोश सड़क" !!
हमने भी 'टूट-फुट' कर खुद को संभाला है
थोड़ा मुस्कुरा,जीवन के मुसीबतो को टाला है
ऐसी भी थी क्या मुसीबत
जो बंद हो गए शहरो-के-शहर,
आहिस्ता खुद से पूछता है ये "खामोश सड़क" !!
आहिस्ता खुद से पूछता है ये "खामोश सड़क" !!
राहुल आदर्श
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