साहित्य चक्र

26 April 2020

भारी सुध लामिस


        
       
आज मंझनिया भर दसना में सुते सुते
तीज तिहार के गीत ल ओरिया डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन
जम्मो हंसी ठिठोली ल घिरिया डारेव जी


कती गीत ल राग मे नई रंगाये होहु
ऊसर पुसर के ठहाका लगा डारेव जी
जउन घटना होय नई ये वहू ला गौकी
फोकटे फोकट ऐके म समा डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन.........


देवारी के बगराये दिया जुगुर बुगुर ल
अंतस म एक घाव अऊ बार डारेव जी
का कहिबे होली,हरेली,तीजा,पोरा के
रोटी खाके अल्थी कल्थी मार डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन ........


नव दिन नव रात ल झुम्मर झुम्मर के
देबी जस ल गोहर पार के गा डारेव जी
तुरतुरिया, खल्लारी, चंडी दाई अऊ
महमाई के दरशन पाके गंगा नहा डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन .........


हमर घर  सियनहा के तिरिया चरित्तर ल
उटक उटक के भखान डारेव जी
तभो ले देवता मान पिढ़हा में खड़े करके
देवारी म रगड़ रगड़ के पाव पखार डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन ........


गौटिया घर के बरबिहाव म मंगलू ल
उलन उलन के नाचत देख डारेव जी
बरतिया संग झगरा ओखी के खोखी
जबरवाली मार खावत ल झेक डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन .......


कोंन जनी कइसे बताव सबो झांकी ल
नजर भर मया के मारे सपना डारेव जी
ठऊका आगे मोर तीर बबा अऊ समझात कहिथे
मुचमुचात बदलगे जबाना तेला मैं पहा डारेव जी
भारी सुध लामिस गौकिन परोसिन ..........


       
                                      अजयशेखर 'नैऋत्य'


No comments:

Post a Comment