साहित्य चक्र

18 April 2020

कोरोना का कहर




आज देश जिस संकट से गुजर रहा हैं वह हम सबके सामने है।स्थिति चिन्तनीय है।आज हम एक अदृश्य भय का सामना कर रहे हैं,एक अदृश्य यद्ध लड़ हैं। जब शत्रु हमारे सामने होता है तो हम उससे लड़ सकते हैं,उसे मात दे सकते हैं,थोड़ी सतर्कता और सावधानी से उससे अपना बचाव कर सकते हैं।किन्तु जब शत्रु अदृश्य हो,चारों ओर से आक्रमण कर रहा हो, तब उससे बचाव थोड़ा मुश्किल हो जाता है,कठिन हो जाता है।आज हमें उसी मुश्किल का सामना करना है,,उसी युद्ध को लड़ना है और जीतना है और हम जीतेंगे भी।बस थोड़ी सतर्कता,सुरक्षा,समझदारी और साहस तथा धैर्य की आवश्यकता है।

                  हमारी सरकार इस युद्ध को लड़ने के लिए प्राण-प्रण से लगी हुई है।सारा प्रशासनिक अमला कोरोना के "अदृश्य महायुद्ध" को लड़ने के लिए कूद पड़ा है।इस महामारी में भारत की जनता  जिस पीड़ा को झेल रही है,जिन अभावों का सामना कर रही है,उनके दुख दर्दों का हमारे प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को पूरा अहसास है।जनता की पीड़ा के लिए उनकी आँखों में आँसू हैं,उनके हृदय में करुणा है,संवेदना है।वे बार-बार भारत की जनता को भरोसा दिला रहे हैं कि संकट की इस घड़ी में वे उनके साथ हैं,सरकार उनके साथ है।

                अगर हम सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो हमे पता चलेगा कि सरकार के सामने कितनी बड़ी चुनौती है।एक तरफ इस महामारी कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए "लॉक डाउन" मिशन को सफल बनाना है और दूसरी तरफ जनता को जवन यापन के लिए आधारभूत साधन भी उपलब्ध कराना है।जो निर्धन वर्ग के,मजदूर वर्ग के,रोज कमाने खाने बाले,ठेले खोमचे बाले,आटो टैम्पो बाले लोगों आदि के लिए राशन,सब्जी,दूध,अनाज,ईंधन इत्यादि बस्तुएँ भी उपलब्ध कराना है।और सबसे बड़ी बात सभी को सुरक्षित भी रखना है।

             ऐसी परिस्थिति में देश के प्रत्येक नागरिक फर्ज बनता है कि जो जहाँ पर है,जिस स्थिति में है,जिस स्तरपर है उसी स्तर से सरकार का सहयोग करे।कलम का एक छोटा सा साधक होने के नाते,एक सृजन धर्मी होने के नाते मेरा भी फर्ज बनता हैकि मैं भी अपने लेखो,आलेखों,कविताओं,रचनाओं एवं गीतों के द्वारा जनता में जागरूकता फैलाऊँ,उन्हें घर पर सुरक्षित रहने के लिए प्रेरित करूँ।प्रधानमंत्री जी के "लॉक डाउन" को सफल बनाने के लिए इस मिशन के उद्देश्य,महत्व एवं इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम के बारे में बताऊँ।जो मैं पूरी निष्ठा और समर्पित भाव से कर रहा हूँ।मेरा अपने सभी साहित्यकार बंधुओं,कवियों,लेखकों एवं पत्रकार बंधुओं से भी विनम्र निवेदन है कि हर सम्भव इस कार्य में अपना सहयोग दें।

              देश पर आई हुई इस विकट आपदा पर हमें अपने आपको सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।घर पर रहें।सकारात्मक सोचें।यदि किसी की मदद कर सकते हैं तो अपने आपको सुरक्षित रखते हुए मदद कीजिए।सतर्क रहिए!सावधान रहिए!! घर पर रहिए!!

                              

इस विपत्ति पर "लॉक डाउन" का पालन करते हुए देश के सच्चे नागरिक होने का फर्ज अदा कीजिए।गर्व से कहिए कि हम भारतीय हैं न हारे हैं न हारेंगे।

          इस महामारी,त्रासदी और भयाभय विकराल विभीषिका में भी भारत के कर्ममवीर अपनी मौत की परवाह न करते डटे हुए हैं,भारत का बच्चा-बच्चा उनके इस त्याग,समर्पण और बलिदान का रिणी है ओर रहेगा।भारत के इन कर्मवीरों में सेना के जवान,पुलिस कर्मी,स्वास्थ्य कर्मी,डॉक्टर्स,सफाई कर्मी,मीडिया कर्मी,पत्ररकार बंधु,सिरक्षा कर्मी,समाज सेवी संस्थाएं,समाज सेवी आदि के साथ-साथ अन्य न जाने कितने लोग और भी है जो अदृश्य रहकर इस महा विकट समस्यै से झूझ रहे हैं।उनरे जज्बे को सलाम।उनके त्याग,समर्पण,ओर साहस को नमन।मैं विनत भाव से उन्हें नमन करते हुए बस इतना कहना चाहता हूँ।


 "जानता हूँ युद्ध मेरा कातिले सूरज से है, 
किन्तु मुझको ज्ञात यह भी शाम को ढलता भी है।"

                                                 श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'


No comments:

Post a Comment