साहित्य चक्र

26 April 2020

वैश्य या रंडी के मन की पीड़ा



नारी समाज का वो हिस्सा जो कभी सम्मान की भावना से देखा ही नहीं गया। इस समाज को ना जाने गिरे हुए लोग किस किस नाम से बुलाते है।कोठे वाली, रण्डी, देह व्यापार वाली,जिस्म बेचने वाली,दंधा करने वाली ना जाने इन को किस किस नाम से नवाजा जाता है।सच पूछो तो कोन जन्म से वैश्य होती है। बस छोटी छोटी मासूम सी लड़की को खरीद कर देह व्यापार में लगा दिया जाता है। उन्हें बेचा जाता है।

वैश्या तो उन भूखे बेड़ियों की हवस भूजाती है जो हवस में ना जाने कितनी मासूम लडकियो को अपनी हवस का शिकार बना लेते है। मै सभी से एक बात पूछना चाहता हूं।जिस्म भेजने वाली तो वैश्या होती है।उस मर्द को क्या बोले जो वैश्या के पास जा कर अपनी हवस बुझाता है।उस मर्द को कोई कुछ क्यो नहीं कहता।उस हवस के इंसान को क्यो नाम नहीं दिया जाता।क्या उस गिरे हुए मर्द को जन्म देने वाली मां की कोख लज्जित नहीं होती।क्या उस का परिवार लज्जित नहीं होता। ऐसे मर्द को जन्म दे कर।

शुक्र है हमारे समाज में वैश्या नाम का कोई समाज रहता है नहीं ये हवस बरे इंसान तो अपनी बहनों,बेटियो को अपनी हवस का ही शिकार बना लेते।बल्कि बनाते भी है। कभी किसी महिला को कोई शक हो तो पूछना उस का पति उस का भाई या कोई और मर्द कभी वैश्या के पास गया है तो जवाब जूठा ही सही ना मिलेगा।

सभी औरत के शरीर की बनावट वैसे एक सम्मान होती है।पर किसी औरत के थोड़े से उबरे हुए स्तन या बनावट अलग मिल जाए तो मर्द कहने वाली जाति उस का आंखो ही आंखो में बलताकर कर देते है।उस का मोल लगाने को तैयार हो जाते है।क्या उन के घर में कोई ऐसी नहीं मिली होगी क्या।हवस ना जाने क्या क्या करवा देती है।

कोठे कभी बनते ही नहीं अगर एक मां गिरे हुए मर्द को जन्म दे ही ना।शर्म अब बची ही नहीं।हवस में इंसान रिश्तों की कदर ही भुल गया।हवस की पट्टी ऐसी बन्द गई आज मर्द ये भी नहीं देखता की वो क्या करने जा रहा है।बलतकार करने के बावजूद खुद को पाक बताने के लिए हत्या तक कर देता है।आए दिन रिश्तों को तार तार करने वाली खबरे आती है।जिसे पढ़ कर रूह कापने लगती है।वो उम्र भी नहीं देखता।चाहे लडकी 1 महीने की हो या 90 वर्ष की।

अगर इस समाज में वैश्या बुरी है तो उस पास जाने वाले भी बुरे है।उस को पैदा करने वाले भी बुरे है।ये संस्कार बुरे है। वैश्या ही है जो हवस के जानवर की प्यास अपने जिस्म को लूटवा कर पूरी करती है।इन्हीं की वजह से हमारी बहू बेटी बहन एक हद तक सुरक्षित है।

वैश्या के मन के भाव....

जिस्म मेरा इतना सस्ता कहा,
लाचार ना होती तो ये बिकता कहा।

होते सारे मर्द राम के जैसे,
फिर बीच बाजार कोठा खुलता कहा।

हवस जगे तुम्हारी लूटना आबरू तू ना किसी की,
मर्द होता अगर जिस्म किसी का लूटता कहा।

होती अगर मर्द जात सही,
मेरे जिस्म पर वैश्या का दाग़ लगता कहा।

"मनदीप"जाने ना दर्द कोई बिके जिस्म का,
देह व्यापार पर प्रतिबंध अब लगता कहा।

                                                                         मनदीप साई



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