पहले विपदा टले गीत गायेंगें हम
अपने जीवन के सब मीत पायेंगें हम
दौर मुश्किल है किंतु गुजर जायेगा
साथ देते चलो जीत जायेगें हम
फिर से गौरैया आंगन में आने लगी
फिर से बागों में कलियां मुस्कुराने लगी
फिर से गंगा का जल आज निर्मल हुआ
फिर से जलता शहर आज शीतल हुआ
देख लो क्या मिला हमको घर बैठकर
फिर से शायद सबब सीख जायेंगे हम
अपने जीवन के सब मीत पायेंगें हम
दौर मुश्किल है कितु गुजर जायेगा
साथ देते चलो जीत जायेंगें हम
फिर घर सब मकां में बदल जायेंगें
फिर से सड़कों पर आदमी निकल जायेंगें
जीत कर हार जायेगें हम जंग ये
फिर से इंसान जो गर बदल जायेगें
थोड़ा धीरज धरो सब घरों में रहो
मुस्कुराते रहो बीत जायेगें गम
दौर मुश्किल है किंतु गुजर जायेगा
साथ देते चलो जीत जायेंगें हम
कंचन तिवारी "कशिश"
No comments:
Post a Comment