साहित्य चक्र

18 April 2020

एकान्तवास

कोरोना तेरी हार सुनी...


चिड़ियों की आवाजें मैंने
बहुत दिनों के बाद सुनी।
अम्बर से तकते चंदा की
लम्बी - लम्बी बात सुनी।
फरमाइश थीं, मनुहारें थीं,
प्रशनों की बरसात सुनी।
टूट रहा था तारा कोई
उसकी भी आवाज़ सुनी।
नन्हें पंछी से उड़ने की
तङप बहुत दिन बाद सुनी।
आंसू थे और हंसी-ठिठोली
मन की सबने राग सुनी।
एकान्तवास में सब रिश्तों की
मजबूती से पकड़ सुनी।
वक्त थमा सा लगता है 
सांसों की सरगम सुनी-सुनी।
फिर भी मायूस नहीं कोई
कोरोना तेरी हार सुनी।

                                        भावना शर्मा


No comments:

Post a Comment