होली के रंगों से सरोवर था जग सारा,
रंग में भंग डाल कर ,
इस कोरोना ने सारी खुशियों के रंग
फीके कर दिए ,ओर ,
सारे त्योहारों पर लगा दिया ग्रहण।
सारा देश , सारे शहर ,
सारे गांव तक सहम गए
इस अदृश्य कोरोना के ख़ौफ से
और बंद हो गए घरों की चारदीवारी में,
अनगिनत लोग फंस गए
अनजाने शहरो में।
स्कूल बंद , सिनेमा बंद ,
पार्क बंद , घर से निकलना बंद,
रिश्तेदारों से मिलना बंद ,
व्यापार बंद,
पूरा देश बंद,
कोरोना के नाम पर
हो गया सब बंद।
रफ्तार ठहर गई शहरों की
सुनी हो गई सड़कें सारी
अब आई पेट की बारी
बिना रोजगार पेट भी खाली
कारखाने भी चुप
बस ,ट्रेन ,जहाज भी चुप
शहनाईया भी हो गई चुप
खामोशी की चादर ओढ़
सारा शहर हो गया चुप।
स्कूल बंद, सिनेमा बंद,
पार्क बंद, घर से निकलना बंद,
रिश्तेदारों से मिलना बंद,
व्यापार बंद, पूरा देश बंद
करोना के नाम पर,
सब हो गया बंद।
मगर इस बंद के बीच भी
चमत्कार हो गया,
जो इतने सालों से नहीं हुआ
वह 2020 में हो गया।
कारखानों की जहरीली गैसों से
भारत मुक्त हो गया।
विशालकाय उद्योगों के कचरे से
हर नदी का पानी स्वच्छ हो गया
तेज रफ्तार वायु प्रदूषण से
हर शहर शुद्ध हो गया।
कोरोना ने नेगेटिव पॉजिटिव के
मायने बदल दिए,
इंसानों को इंसानों के बीच
रहना सिखा दिया ,
समस्त मानव प्रजाति को,
एक सूत्र में पिरो दिया।
और जाते-जाते यह सबक सिखा
दिया बिना संसाधनों के भी
जिंदगी खुशनुमा होकर
चल सकती है
अलविदा 2020 इस उम्मीद से ,
जो गुजर गया
गुजर जाने दो ।
ओर कोरोना से सबक ले
हम अपने मे बदलाव कर पाए
मगर हम फिर मात खा गए ।
हमारी कमजोरी को हथियार बनाकर
वो फिर अपने विशाल रूप में
लौट आया कोरोना
इस गुजरी हुई त्रासदी से
अगर हम सबक ले पाते हैं
स्वयं में बदलाव
अगर हम कर पाते
तो कोरोना को परास्त कर पाते
हमारी लापरवाही के आमंत्रण से ही
कोरोना फिर लौट आया
फिर से त्राहि-त्राहि मच जाएगी
आओ प्रण करें
इस बार कोरोना को
जड़ से मिटाएं
एकजुट होकर
कोरोना पर प्रहार करें
हम सब मिलकर
उसका प्रतिकार करें
कमल राठौर साहिल
No comments:
Post a Comment