साहित्य चक्र

01 April 2021

हम सब इस पृथ्वी के ऋणी हैं।



पृथ्वी को संरक्षण प्रदान करने के लिए और सारी दुनिया से इसमें सहयोग और समर्थन करने के लिए पृथ्वी दिवस प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन को 193 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है। इस दिन विश्व स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कई समुदाय और एनजीओ, पृथ्वी सप्ताह का समर्थन करते हुए पूरे सप्ताह विश्व के पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर पृथ्वी को बचाने के लिए अनुकरणीय कदम उठा रहे हैं। पृथ्वी दिवस की परिकल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं, जिसमें दुनिया भर की हवा और पानी प्रदूषणमुक्त होगा। नदियां अपने बदहाल पर आंसू नहीं बहाएंगी। मिट्टी, बीमारियां नहीं वरन सोना उगलेगी। धरती रहने के काबिल होगी। इस तरह समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। तभी ऐसे दिनों को मनाने की सार्थकता है।

हमारे सौरमंडल में केवल धरती ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है, जहां नदी, झरने, पहाड़, वन, अनेक जंतु प्रजातियां हैं और जहां हम सब मनुष्य भी हैं। लेकिन हम सब की लालच और लापरवाही ने ना केवल दूसरी जीव प्रजातियों के लिए बल्कि खुद अपने लिए और संपूर्ण धरती के लिए संकट पैदा कर दिया है। ऐसे में पृथ्वी दिवस जैसे आयोजन हमें जागरूक करने के लिए जरूरी हैं। आइए इस पृथ्वी दिवस पर हम धरती की पुकार सुनें और इसे स्वच्छ-सुरक्षित बनाए रखने में अपना भरपूर योगदान दें।



भारतीय पौराणिक ग्रंथों में पृथ्वी को मां के समतुल्य माना गया है। यह हम सबकी आश्रयदाता है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। इस पर मौजूद बेशुमार संसाधन, उपहार के रूप में हम सबको मिले हैं। प्रकृति ने इस पर जल, नदियां, पहाड़, हरे-भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई खनिज संपदा धरोहर के रूप में हमारे जीवन को सहज बनाने के लिए प्रदान किए हैं। हम अपनी मेहनत से धन तो कमा सकते हैं लेकिन प्रकृति की इन धरोहरों को अथक प्रयास करने के पश्चात भी बढ़ा नहीं सकते। इसलिए हम सबको इन धरोहरों को संजोने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमारी धरती बहुत ही सुंदर है। इसका एक बड़ा भाग पानी से ढंका हुआ है। पानी की अधिकता के कारण ही इसे ब्ल्यू प्लेनेट के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन हम सबकी ही लापरवाही के चलते ग्लोबल वार्मिंग और पॉल्यूशन की वजह से यह सुंदर ग्रह अब खतरे में नजर आ रहा है। इसको बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे जागरुकता बढ़ाने वाले आयोजनों और अभियानों की आवश्यकता है।

वैसे तो ऐसे कई तरीके हैं जिससे हम अकेले और सामूहिक रूप से धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। लेकिन, अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के कर्ज को उतारा जा सकता है।

पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। दरअसल पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं।

धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। पृथ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है, यह हमें जीवाश्म ईंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है। इसको मनाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरुकता के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो हमारे जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रेरित करता है। ऐसे आयोजन ऊर्जा के भंडारण और उसके महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए भी हमें सावधान करता है।

पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें.. क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है! सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए! सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी। 


                                       प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"


No comments:

Post a Comment