साहित्य चक्र

11 April 2021



कोरोना की मार से,बचे न कोई लोग।
देखो बढ़ता जा रहा,कोरोना का रोग।।

चेले मौज मना रहे,घर पर बैठे रोज।
गुरुवर केवल कर रहे,मिलकर सारे खोज।।

अपनी अपनी दे रहे, लोग मुफ्त में राय।
कोरोना के नाम पर, जी भर पीते चाय।।

लगा रहे कर्फ्यू सभी, जनसेवक मिल आज।
रहें सुरक्षित लोग सब,कोरोना की गाज।।

मित्र बनाकर के कहीं,करना दे वो घात।
धोखे में रहना नहीं,समझ लीजिए बात।।

मित्र सदा ही दे यहाँ, खुशियों का अम्बार।
सदा मित्र का हम करें मान और मनुहार।।

आशाओं के खिल रहे,देखो मन मे फूल।
सद्भावों से सब रहें, कभी न जाना भूल।।

                            -डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित"


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