इन दिनों हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। कुंभ मेला सनातन संस्कृति का एक पवित्र स्नान मेला है। कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है और हर 6 साल में अर्ध कुंभ का आयोजन होता है। कुंभ का आयोजन तीर्थ नगरी हरिद्वार, नासिक, इलाहाबाद और उज्जैन में हर 12 साल में होता है। कुंभ मेला में समस्त भारत के साधु गण स्नान के लिए आते हैं। इसके अलावा करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु भी कुंभ मेले में स्नान करने के लिए आते हैं। कुंभ का अपना ही एक महत्व है। अलग-अलग अखाड़ों के साधु संत क्रमानुसार शाही स्नान और स्नान करते हैं।
यह फोटो मनीष रावत द्वारा क्लिक की गई है। |
हम अपने इस आर्टिकल के साथ आपके लिए कुंभ के कुछ अलौकिक तस्वीरें भी लेकर आए हैं। जिन तस्वीरों को आप देख रहे हैं। वह तस्वीरें देहरादून के मशहूर युवा फोटोग्राफर मनीष रावत जी द्वारा खींची गई है। मनीष रावत एक युवा फोटोग्राफर है जो पिछले 4-5 सालों से फोटोग्राफी कर रहे हैं। इनके द्वारा क्लिक की गई फोटो कई जगहों पर प्रदर्शित हो चुकी है। मनीष रावत शादी, पार्टी, बर्थडे, कार्यक्रम, मॉडलिंग इत्यादि फोटोग्राफी करने का शौक रखते हैं। अगर आपको मनीष रावत जी की फोटोग्राफी अच्छी लगी है तो आप इनसे फोटोग्राफी सर्विस के लिए संपर्क कर सकते है।
मनीष रावत जी का संपर्क सूत्र- +91 96904 95769
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मनीष रावत उत्तराखंड के एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। हमारा इस आर्टिकल में मनीष के बारे में लिखने का सिर्फ इतना मकसद है कि जो युवा फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी इत्यादि में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए मनीष एक प्रेरणा बन सकते हैं। मनीष ने फोटोग्राफी सीखने और शुरू करने के लिए बहुत ही संघर्ष किया है। हम और आप भी किसी के संघर्ष से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में कुछ अच्छा करने का प्रयास कर सकते हैं।
खैर छोड़िए अब हम मुख्य बिंदु पर आते हैं- कुंभ मेले को लेकर भारत के लोगों में एक अलग ही आस्था और भक्ति का माहौल दिखाई देता है। कई लोग मानते हैं कि कुंभ में स्नान करने से उनके कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। आस्था और भक्ति सामान्य इंसानों के लिए आत्मविश्वास और उम्मीद का एक मार्ग होता है। आस्था और भक्ति के माध्यम से ही समाज में शांति और अच्छाइयां लाई जा सकती है, मगर आज कुछ धार्मिक ठेकेदारों ने आस्था और भक्ति के माध्यम से समाज में नफरत फैलाने का काम किया है। हमारे देश में धर्म और आस्था के नाम पर खूब राजनीति होती है। मेरा स्वयं का मानना है कि धर्म और आस्था के नाम पर राजनीति करना बहुत ही खतरनाक है। जब धर्म और आस्था के नाम पर राजनीति होती है तो लोगों का धर्म और आस्था से विश्वास खत्म होना शुरू होता है। सनातन परंपरा में आस्था और भक्ति समाज में शांति और भाईचारा बढ़ाने का प्रतीक है। हां कुछ लोगों के कारण आस्था और भक्ति को सीमित करने का लगातार प्रयास होता रहा है। इसलिए हम सभी को अपनी आस्था और भक्ति के लिए किसी अन्य व्यक्ति और समाज पर अत्याचार नहीं करना चाहिए।
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कुंभ मेला दुनिया का एकमात्र ऐसा मेला है जहां लाखों की संख्या में लोग एक साथ स्नान करते हैं और हर 12 साल बाद साधु संत बिना किसी सूचना इत्यादि के कुंभ स्थल पर इकट्ठा हो जाते हैं। आपकी आस्था हो या ना हो मगर कुंभ समस्त विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। कुंभ मेले को लेकर अलग अलग राज्य और क्षेत्रों में अलग-अलग कहानियां और मान्यताएं हैं। कुंभ को अगर भारतीय सनातन परंपरा का एक प्रतीक कहा जाए तो गलत नहीं होगा। कुंभ एक प्रकार से साधु-संतों की बैठक है। वैसे वर्तमान में कुंभ मेले के माध्यम से सरकार जनता तक कई सारी चीजों को पहुंचा सकती है। इतना ही नहीं सनातन संस्कृति और सभ्यता का भी सही तरीके से संचार और प्रचार किया जा सकता है। जिस तरीके से आए दिन धर्म और आस्था के नाम पर लोगों को लड़ाया जाता है, उसे देखते हुए मेरा खुद का मानना है कि सभी साधु संतों को कुंभ के माध्यम से इस विषय पर चर्चा और विचार विमर्श करने की जरूरत है। इसके अलावा जितने भी धार्मिक ग्रंथों में त्रुटियां हैं, उनमें सुधार व संशोधन करने को लेकर विचार करना चाहिए। यह काम साधु संत ही कर सकते हैं। कुंभ में आने वाले सभी साधु संतों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता और पहचान को बचाने के लिए भी इस मेले के माध्यम से प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी देनी चाहिए। आज हमारे समाज में सनातन परंपरा, संस्कृति और सभ्यता को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही है, जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकता है। अगर वक्त रहते हम और साधु संत लोग इस विषय पर चर्चा नहीं करेंगे तो भारतीय सनातन परंपरा जल्द ही विलुप्त होती नजर आएगी।
हवलदार 'भारतीय'
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