साहित्य चक्र

04 April 2021

जिंदगी



जिंदगी एक रास्ता है
जिस पर सबको जाना है

कभी मुश्किल से हारकर
कभी हार को मारकर
कभी साथ या कभी अकेले
कभी बस्ती या कभी मेले
कन्ही पदचिन्ह मिले 
कन्ही बनाए निशान
जाना सभी को वहीं 
जिसका है नाम शमशान 
वहीं आखरी मंजिल है
वहीं आखरी ठिकाना है
जिंदगी एक रास्ता है
जिस पर सबको जाना है

उम्र राह की दूरी है
बढ़ना भी मजबूरी है
इस राह के राही सब तो 
जैसे दरखतों की छाया है
किसी से मीठे फल मिले
किसी से कांटो को पाया है
फल उठाकर कंट हटाकर
पथ को सरल बनाना है
धूप छांव से आगे बढ़कर
अन्तिम डेरा और लगाना है
जिंदगी एक रास्ता है
जिस पर सबको जाना है

                         ✍️ नीलेश मालवीय "नीलकंठ"



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