आओ मेरे उर उटज में
धीरे-धीरे हौले-हौले
यादों की पगडंडियों से
गुज़रें चुपके बिन बोले
वो गली जहां मिले नयन
जब बिन नैया हम डोले
इक खिड़की की ओट से
झुकी नज़र कई राज़ खोले
गुलाबी आँगन का झूला
तुझ संग खाए प्रीत हिंडोले
क्यूँ छोड़ा गली मोहल्ला
ढूँढे तुझको दो नयन भोले
चौखट पे है आस टिकी
धड़कन जैसे हिम के गोले
उस कमरे में दर्द पड़ा है
रह रह खाए हिचकोले
इक कोने में प्रेम रखा है
अब न कोई इसको तोले
साँसों को साँसों से छूकर
मैं भी रो लूँ तू भी रोले
रेखा
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