साहित्य चक्र

24 April 2021

वक्त का पहिया


जा चुके है जो
इस धरा से
वो फिर
लौट कर आएंगे।
तेरे पास न सही
मेरे पास तो
जरूर आएंगे।
देकर हाथ तेरा
मेरे हाथ में
फिर मुस्कुराएंगे।
छोड़ चुके हैं जो अपने
अनजान बनकर
अनकही राहों में।
वक्त का पहिया
जरा पलटने तो दो
वही फिर से
हमें अपने गले लगाएंगे।

                                 राजीव डोगरा 'विमल'


No comments:

Post a Comment