साहित्य चक्र

19 April 2021

अनुभूति


जिक्र नहीं
इसका ये अर्थ नहीं,
उनका अब हमें
कोई फिक्र नही।
जीवन की दौड़ में
न भूले है
न विसरे है उनको
अंतर्मन की राहों में
सिमरा है हर पल उनको।

छोड़ा है बस
उनके साथ चलना,
मगर छोड़ा नही कभी
उनका साथ निभाना।
अनजान किया बस
अपनी बहकती नजरों से
मगर आज भी
जान पहचान बनाये रखी है
हृदय की गहरी अनुभूति में।

                                   राजीव डोगरा 'विमल'



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