साहित्य चक्र

11 April 2021

निर्माण


दीपक करता उजाला सर्वस्व

तू क्यों बना तल का अँधेरा

खोज अपनी नवल किरण

निज नियति का जगा सवेरा


नर्म मिट्टी में ही अंकुर फूटते

रच विश्वासों का नीड़

बाँध रिश्तों का बंदनवार 

हर दुविधाओं की पीड़


मुसीबत से बींधी ज़िन्दगी

तूफ़ानों में कश्ती खेले 

तू जलता सूर्य जवानी का 

दुनिया को नई आवाज़ देले 


नया स्वर माँगता प्रमाण 

कर्मठता का ज्ञात भी तो हो 

अम्बर सीस झुकाले

बताने को ऐसी बात भी तो हो 


                                   रेखा ड्रोलिया 


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