साहित्य चक्र

25 April 2021

संयम और धैर्य बनाए रखें।




वर्तमान में देश के जो हालात हैं उन्हें देखते हुए हम सभी को अपना संयम और धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। इस वक्त हम सभी के लिए देश के हालातों को नियंत्रण करने का विषय सबसे ऊपर है। हो सकता है आप अलग-अलग पार्टियों के समर्थक और अलग-अलग धर्म जाति मजहब के मानने वाले होंगे, परंतु इस वक्त देश की जो हालात है, उसे देखते हुए हम सभी को एकजुट होकर इस महामारी युद्ध से पार पाना है।

इस महामारी काल में हमें सिर्फ केंद्र सरकार के अलावा किसी अन्य सरकार पार्टी से सवाल नहीं पूछना चाहिए। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वर्तमान के हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार के फैसले अभी तक जो भी आए हैं, वह बेहद ही निराशाजनक है। केंद्र सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, अगर सरकार को स्थिति नियंत्रण करने के लिए आपातकाल की जरूरत है तो लगाना चाहिए और जनहानि कम से कम हो इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। हमारे देश की जनसंख्या इतनी अधिक है कि अगर 1% हमारे देश की जनसंख्या इसका शिकार होती है तो करीब डेढ़ करोड़ से ऊपर जनहानि हमारे देश को उठानी पड़ सकती है। यहां पर एक बात ध्यान में रखने वाली यह है कि हमारे देश में हिंदू धर्म को मानने वालों की जनसंख्या सबसे अधिक है। अगर 1% हिंदू धर्म को मानने वाले की जन हानि होती है तो इसका सीधा प्रभाव हमारे देश के वातावरण से लेकर पर्यावरण पर भी पड़ेगा। इसके पीछे सीधा कारण यह है हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अंतिम संस्कार जलाकर करते हैं। करीब 1 लाश को जलने में 2 से 4 घंटे का समय लगता है अगर लकड़ी से इस लाश को जलाया जाता है। लाश को जलाते वक्त लकड़ी की जरूरत पड़ती है और लकड़ी का सीधा संबंध पर्यावरण से है। लाश जालते समय धुआं होता है, जिसका सीधा संबंध हमारे वातावरण से है। हिंदू धर्म के बाद भारत में मुस्लिम धर्म को मानने वालों की जनसंख्या अधिक है, इसलिए अगर 1% मुस्लिम धर्म को मानने वालों की जन हानि होती है तो उनके लिए भी कब्र के लिए जमीन की कमी पड़ सकती है, क्योंकि हमारे यहां कब्रिस्तान के लिए जमीन सीमित होती है।

भारत के वर्तमान हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार को कठोरता पूर्वक हालातों को नियंत्रण करने की जरूरत है। अगर यह हालात यूं ही चलते रहे तो भविष्य में भारत को कई मुसीबतों का सामना एक साथ करना पड़ सकता हैं। इसलिए वर्तमान की बीजेपी सरकार को देश के मौजूदा हालातों से निपटने के लिए ठोस फैसलों के साथ कदम बढ़ाने की जरूरत है। अभी तक वर्तमान सरकार की नीतियों को देखते हुए बहुत दुखी और निराशा हाथ लग रही है। एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री माननीय नरेंद्र मोदी जी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में व्यस्त नजर आते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली से सटे राज्य उत्तर प्रदेश में जनता को ऑक्सीजन, इलाज प्राप्त नहीं हो पा रहा है और तो और श्मशान घाटों में चिता जलाने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। क्या इन स्थितियों में प्रधानमंत्री सहित देश के गृहमंत्री को चुनावी जनसभाएं करनी जरूरी है ? जबकि कोरोनावायरस नाम की यह बीमारी भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में तेजी से फैलती है। क्या प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की इस महामारी काल में कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है ? अब तक इस महामारी से लड़ने के लिए भारतीय सरकार ने क्या ठोस फैसले उठाए हैं ? आखिर हमारी सरकार पिछले 1 साल में क्या कर रही थी ? क्या सरकार इस महामारी को हल्के में ले रही थी ? जिन लोगों ने अपने परिजन, मित्र और रिश्तेदार खोए हैं क्या सरकार उन लोगों को जवाब दे सकती है ? हमारे देश की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक है। इसके बावजूद भी हमारी सरकार ने अपने देश की जनता को वैक्सीनेशन तब दी जब हमारे देश की वर्तमान सरकार ने कई देशों को निःशुल्क वैक्सीन बांट दी थी। क्या वर्तमान सरकार के लिए देश की जनता बाद में आती है जो उसने अन्य देशों को पहले वैक्सीन दी ? वैक्सीनेशन का काम इतने धीमी गति से क्यों हो रहा है ? क्या सरकार के पास इस महामारी से लड़ने के लिए कोई धारदार हथियार है ?

हवलदार भारतीय


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