साहित्य चक्र

11 April 2021

लाल मिले हैं माटी में



माटी के जो लाल मिले हैं माटी में,
रक्त गिरे नेताजी आपकी टाठी में।
दागदार कुर्ते को बदल के मत आना,
क्रोध की ज्वाला धधक रही छाती में।।

मेरा छोड़ो जन जन का यह हाल है,
निंदा वाले बोली पर होने वाला बवाल है।
जिसकी जितनी जिम्मेदारी वो बोलो,
हिंदुस्तान के हर घर से यही सवाल है।।

आज बिलख कर रोया मेरा मन,
किसकी गलती से ये बिखरा तन।
राज्य केन्द्र आरोप मढ़ेंगे आपस में,
कुछ नाम कमाने ले जाएंगे श्वेत सुमन।

सरकारों से हांथ जोड़ है अनुरोध,
इस दुखद पल में ना हो गतिरोध।
साथ चलो संहार करो हर पापी का,
देशद्रोही मिटाने में ना हो प्रतिरोध।।

वीरों की छींटों पर रक्त की धारा हो,
देशद्रोहियों का ना कोई सहारा हो।
जो बने सहारा हत्यारों का भूमी पे,
उसका जीवन सरकार ना गंवारा हो।।

                                                     प्रदीप कुमार तिवारी


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