साहित्य चक्र

04 April 2021

भाई बहन



  ****************************

अपने सब कामों से हैं सबको रिझाते ।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते ।।

साथ-साथ रहते हैं, साथ-साथ खाते ।
साथ-साथ लड़ते झगड़ते खिलखिलाते ।
खेलते हैं साथ-साथ , साथ-साथ पढ़ते-
नाचते हैं कूदते, साथ-साथ गाते ।
भाई-बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते ।।

छोटा है भाई बहन थोड़ी बड़ी है ।
भाई के लिये बहन तत्पर खड़ी है ।
छोटा है भाई किन्तु खोटा बहुत है-
बहन स्नेह की एक मधुर फुलझड़ी है ।
आपस में रूठते हैं और मान जाते ।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते ।।

बाहर का कोई यदि आँख भी दिखाये ।
दोनों के हमले से तुरंत मात खाये ।
घूमते टहलते हैं काम खूब करते-
काम सभी अच्छे हैं कोई कह न पाये ।
दीनों के दुखियों के काम सदा आते ।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते ।।

                      श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'


No comments:

Post a Comment