जब हम स्कूल में थे
हमें वो सवाल हल करने को कहा गया
जो पाठ के अंत में थे..!
हमारी कक्षा में-
नये सवाल पूछना लगभग वर्जित था
और वर्जित था-
खुद से जवाब लिखना भी..!
सवाल पहले से तय थे
उनके जवाब भी पहले से तय थे
उनके बदले में-
अंक भी पहले से तय थे
और पहले से तय था
परीक्षा का परिणाम भी..!!
इस तरह स्कूलों ने हमें-
देश के सभ्य नागरिक बना दिया
जो न तो सवाल करता है..!
न जबाव देता है.......!!
-अशोक कुमार
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