साहित्य चक्र

24 April 2021

कोरोना को हराना हैं..



कोरोना की लहर चल रही, शहरों और बाजारों में,
करके गलती लोग डूब रहे, लाखों और हजारों में,
इसके चक्रव्यूह में फंस रहा, आज सारा जमाना है
दुनिया के साथ मिलकर, हमें कोरोना को हराना है....

इस नदियां में कश्ती सबकी, सावधानी का ही साथ है,
हाथ साफ हैं मास्क लगा है, फिर डरने की क्या बात है,
सेनेटाइजर से इसे मारकर, लोगों से दूरियां अपनाना है,
दरिया से नौका पार लगाकर, हमें कोरोना को हराना है....

योग ध्यान दौड़ता इंसान, इन सब से तो ये कादर है,
सादा भोजन करता है जो, वो सबसे बड़ा बहादर हैं,
बच्चे बूढ़े प्यारे हैं इसको, हमें सबके कल को सजाना है,
आज घर से ना निकलकर, हमें कोरोना को हराना है....

खाकी वर्दी पहनकर के, वो अंधेरों में दीये जलाते हैं,
मास्क  का जुर्माना उद्देश्य नहीं, वो कोरोना से बचाते हैं, 
अनुबन्धों का अनुसरण कर, विजय का ध्वज फहराना है,
साथ सभी के प्रयासों से, हमें कोरोना को हराना है....

                              नीलेश मालवीय


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