काल की कुंडली में जीवन कसा जा
पसरा मौन, अंजाना डर तुमुल मचा
छोड़ हताशा रख ले आशा,धर ले धीर
अंधियारा चीर दिनकर उजियारा ला
भयाक्रांत मानस क्षण प्रतिक्षण
पंछी उड़ रहा नीड़ का,साथ छूटा
होगी भोर,थामे रखना उम्मीदों की
अंधियारा चीर दिनकर उजियारा ला
पीर हुई पहाड़ सी संताप सहा न जा
क्षीण जीवन,संशय का बादल मंडरा
समय बदलेगा सुर,पाषाण फूटेगा अं
अंधियारा चीर दिनकर उजियारा ला
विह्वल,आकुल मन तारों सा टूटा जा
व्यथित हृदय अश्रु सागर में डू
रात का अंतिम पहर,सुनहरी होगी स
अंधियारा चीर दिनकर उजियारा ला
रेखा ड्रोलिया
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