साहित्य चक्र

24 April 2021

उजियारा...




काल की कुंडली में जीवन कसा जाता है 

पसरा मौनअंजाना डर तुमुल मचाता है 

छोड़ हताशा रख ले आशा,धर ले धीर 

अंधियारा चीर दिनकर उजियारा लाता है 


भयाक्रांत मानस क्षण प्रतिक्षण घबराता है 

पंछी उड़ रहा नीड़ का,साथ छूटा जाता है 

होगी भोर,थामे रखना उम्मीदों की डोर 

अंधियारा चीर दिनकर उजियारा लाता है 


पीर हुई पहाड़ सी संताप सहा  जाता है 

क्षीण जीवन,संशय का बादल मंडराता है

समय बदलेगा सुर,पाषाण फूटेगा अंकुर 

अंधियारा चीर दिनकर उजियारा लाता है 


विह्वल,आकुल मन तारों सा टूटा जाता है

व्यथित हृदय अश्रु सागर में डूबा जाता है 

रात का अंतिम पहर,सुनहरी होगी हर 

अंधियारा चीर दिनकर उजियारा लाता है 


                                                        रेखा ड्रोलिया 



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