साहित्य चक्र

26 November 2022

व्यंग्य कविताः इसीलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है।




जनता का राज है जनता महान है 
उपर तक हमारी मिली भगत है 
हमारा नीचे से ऊपर तक अंडरस्टैंडिंग है 
इसलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है 

हम पर कार्रवाई होना सिर्फ प्रक्रिया दिखावा है 
हमारा निलंबित होना सिर्फ दिखावा है 
जनता कुछ करती नहीं महान है 
इसलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है 

प्राइवेट नहीं शासन है इसीलिए आसान है 
शासन के हम दामाद हैं स्पेशल मेहमान हैं 
हमारा संगठन है कब्जा और कमांड है 
इसीलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है 

ऑफिस में भाड़े से अपने आदमी बिठाए हैं 
बिचौलियों से पूरी सेटिंग हरे गुलाबी ख़ान है 
घूस ब्लैक मनी को प्रॉपर्टी में इनवेस्ट आसान है 
इसलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है 

समझते हैं घूसखोरी पद और कुर्सी का अपमान है 
इसके भरोसे ठसके से जीना आसान है 
शासन से बेईमानी करना आदत का वरदान है 
इसीलिए शासन से हेराफेरी करना आसान है 

            लेखक- किशन सनमुख़दास भावनानी


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