इंटरमीडिएट(विज्ञान) की फाइनल परीक्षा चल रही थी। उस दिन मेरा फिजिक्स का पेपर था। परीक्षा दो बजे से थी लेकिन मैं सवा एक बजे ही पहुंच गया था। परीक्षा केंद्र के बाहर एक दुकान पर कोल्ड ड्रिंक पी रहा था। अचानक मेरी नज़र नीली सूट पहनी बला की खूबसूरत एक लड़की पर पड़ी।
अगले करीब पंद्रह-बीस मिनट तक एक-दूसरे से निगाहों में बातें होती रहीं। स्वभाव से मैं हमेशा शर्मीला रहा हूं इसलिए बात तो करना चाहा लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मैं सोच में खोया हुआ ही था कि उसने अचानक से मेरे पास आकर पूछा-आपका भी एग्जाम है क्या ? मैं सकपका कर अपनी झेंप छिपाते हुए धीरे से हां कहा। उसके बाद फिर हल्की-फुल्की बातचीत और परिचय हुआ।
उसने बताया कि वो भी पीपीके कॉलेज बुंडू में ही पढ़ती है। इसके बाद दोनों एग्जाम लिखने चले गए।दो साल बुंडू कॉलेज में पढ़ा लेकिन पहली दफे किसी लड़की को देखकर दिल के सारे तार झनझना उठे थे। पूरे पेपर के दौरान मैं उसी के बारे सोचता रहा। बेताबी ऐसी थी कि कितनी जल्दी पेपर खत्म हो और बाहर निकल कर उसका नाम और पता पूछूंगा।
उन दिनों मोबाइल सबके पास नहीं हुआ करते थे। मैं पेपर खत्म होते ही भागा-भागा सीधे गेट पर आकर खड़ा हो गया। आंखें भीड़ में बस उसी को ढूंढ रही थी। अचानक जब गेट से निकली तो मैं बदहवास हो गया। उसने मुझे नहीं देखा था। मैं पूछने के लिए आगे क़दम बढ़ाया ही था कि ठीक गेट के सामने बाइक लेकर एक लड़का खड़ा था। शाय़द उसका भाई ही था।
मैं सोचने लगा कम से कम नजरें तो एक बार मिल जाए।वो बाइक पर बैठी और इधर मेरा दिल बैठ गया कि अब आंखों में भी बात नहीं होगी। अगले ही पल मानो चमत्कार हो गया और एक बार फिर हमारी नजरें मिलीं। एक कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बाय की और बाइक आगे बढ़ गई। मैं ख़ुमारी में खोया एकटक तबतक उसे निहारता रहा जबतक कि वो आंखों से ओझल नहीं हो गई।
यूं तो मैं कॉलेज नहीं के बराबर जाता था क्योंकि ट्यूशन सर मना किए थे कि सरकारी कॉलेज है, सुविधा अच्छी नहीं है। इसलिए मटरगश्ती करने कॉलेज नहीं जाना है। लेकिन एग्जाम खत्म होने के बाद करीब एक महीने तक लगातार प्रतिदिन कॉलेज गया।
जाकर नजरें बस उसी को ढूंढती। दोपहर तक छान मारने के बाद मायूस होकर लौट आता। धीरे-धीरे यह सिलसिला बंद कर दिया क्योंकि वो फ़िर कभी नहीं मिली। आज़ भी वो मुस्कुराहट याद कर अनायास ही मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती है। सोचता हूं कि काश वो अनजानी फिर कभी मिल जाती दो पल ही सही।
- कुणाल
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