साहित्य चक्र

25 January 2020

"नया हिंदुस्तान मुझमे समाया है"




मत सोच तू बलवान बड़ा,
हथियार बेमिसाल लाया है।
मेरी कर्म भूमि पर अधिकार कर,
तू मुझे डराने आया है।

तो सुन ले, हूँ मै देश का लाल;
तेरा सामना आज मुझसे आया है।
चुन- चुन कर तुझे खदेड़ दूँगा,
नया हिंदुस्थान मुझमे समाया है 

मत सोच तू चालाक बड़ा,
आतंकवादी बन कर आया है।
मेरे देश को ख़ौफ़ दिखाने,
तू नई रणनीति लाया है।

तो सुन ले, हूँ में देश का सिपाही ;
तेरा सामना आज मुझसे आया है।
हर बार की तरफ मुँह तोड़ जवाब दूँगा,
नया हिंदुस्तान मुझमे समाया है।

मत सोच तू ,खुद को तूफान बड़ा;
प्रलयंकारी बनकर आया है।
मेरे देश को नेस्तनाबूत करने,
तू पिशाच साथ में लाया है।

तो सुन ले,हूँ मै देश का शेर 
तेरा सामना आज मुझसे आया है।
देशभक्ति का पाठ तुझे पढ़ा दूँगा,
नया हिंदुस्थान मुझमे समाया है।

                                                     ममता मालवीय

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