साहित्य चक्र

03 January 2020

जगत का संघर्ष- 'नारी'

नारी का सम्मान
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जगत में संघर्ष करना नारी ही बताती है।
संस्कार व संस्कृति की कला सिखाती है।।

माँ रूप में नारी ही पालन पोषण करती है।
संतान के खातिर वो कितने कष्ट सहती है।।

बेटी बन माँ बाप की सेवा में लग जाती है।
कर पढ़ाई वो हमेशा घर का मान बढाती है।।

पत्नी बन परिवार को साथ लेकर चलती है।
खुद कमा  कर लाती फिर भी चुप रहती है।।

नारी के सम्मान की जब जब बात चलती है।
समाज मे नई जाग्रति  यूँ ही चली आती है।।

हर क्षेत्र में नारी देखो कैसे अव्वल आती है।
राजनीति खेलकूद में देश का मान बढाती है।।

देश की रक्षा करती नारी परिवार पालती है।
हर कर्तव्य निभाकर देश की शान बढाती है।।

                                                 कवि राजेश पुरोहित


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